Give a brief description of the following archaeological sites of Rajasthan | राजस्थान के निम्नलिखित पुरातात्तिक स्थलों का संक्षिप्त विवरण दीजिए:
(1) Bagore / बागोर
(2) Kalibangan / कालीबंगा
(3) Ahar / आहड़
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Archaeological sites of Rajasthan | राजस्थान के पुरातात्तिक स्थल
(1) Bagore – Mewar Mesolithic Site (बागोर – मेवाड़ मध्यपाषाण स्थल)
Bagore is in Mandal tehsil of Bhilwara district in Rajasthan. Bagore is the largest Mesolithic site situated on the Kothari River. The earliest evidence of animal husbandry and fire has been found here. Maharana Sajjan Singh of Udaipur State was the son of Shakti Singh of the Bagor branch of Mewar and was adopted by Maharana Shambhu Singh.
Sri Guru Gobind Singh Ji stayed at Bagor during his visit to Punjab.
बागोर भारत के राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील में है। कोठारी नदी पर स्थित बागोर भारत में सबसे बड़ा मध्यपाषाण स्थल है। बागोर में जानवरों के पालन और आग के सबसे पुराने साक्ष्य मिले हैं। उदयपुर रियासत के महाराणा सज्जन सिंह मेवाड़ की बागोर शाखा के शक्ति सिंह के पुत्र थे और महाराणा शंभू सिंह ने उन्हें गोद लिया था।
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पंजाब की यात्रा के दौरान बागोर में रुके थे।
Kalibanga- Pre Harappan (कालीबंगा- पूर्व हड़प्पा)
Kalibangan is a town located on the left or southern banks of the Ghaggar in Pilibanga, Hanumangarh District Rajasthan. It is also identified as being established at the confluence of Drishadvati and Sarasvati Rivers.
The report concluded that Kalibangan was a major provincial capital of the Indus Valley Civilization. Kalibangan is distinguished by its unique fire altars and worlds earliest attested ploughed field. Kalibangan is considered a planned and developed city.
Between 1960-61 and 1969-70 Kalibangan was first excavated under the Directorship of B. B. Lal with team members B.K. Thapar, M.D. Khare, K.M. Shrivastava and S.P. Jain from Archaeological Survey of India.
- It was first discovered by Amalananda Ghosh in 1952.
- This Early Harappan phase at Kalibangan belongs to the Sothi-Siswal culture.
- At Kalibangan, fire altars have been discovered; these altars suggest fire worship.
- The western mound of Kalibangan, known as the Citadel
- Similar to those found at Lothal which S.R. Rao thinks could have served no other purpose than a ritualistic one.
- It is the only Indus Valley Civilization sites where there is no evidence to suggest the worship of the mother goddess.
कालीबंगा पुरातात्विक स्थल राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले का एक प्राचीन स्थल है। यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण अवशेष मिले हैं। द्रषद्वती और सरस्वती नदी घाटी वर्तमान में घग्गर नदी का क्षेत्र में सैन्धव सभ्यता से भी प्राचीन कालीबंगा की सभ्यता पल्लवित हुई।
- कालीबंगा की पश्चिमी ढेरी, जिसे “दुर्ग” टीला कहा जाता है।
- सर्वप्रथम 1952 ई में अमलानन्द घोष ने इसकी खोज की।
- बी.के थापर व बी.बी लाल ने 1961-69 में यहाँ उत्खनन का कार्य किया।
- यहाँ विश्व का सर्वप्रथम जोता हुआ खेत मिला है और 2900 ईसापूर्व तक यहाँ एक विकसित नगर था।
- नोहर-भादरा क्षेत्र में सरस्वती व दृषद्वती का संगम स्थल था।
कालीबंगा से सिंधु घाटी (हड़प्पा) सभ्यता की मिट्टी पर बनी मुहरें मिली हैं जिन पर वृषभ व अन्य पशुओं के चित्र व र्तृधव लिपि में अंकित लेख है, वह लिपि दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी। पशुओं में बैल, बंदर व पक्षियों की मूर्तियाँ मिली हैं जो पशु-पालन, व कृषि में बैल का उपयोग किया जाना प्रकट करता है।
Ahar / आहड़ / आहर
Ahar a historical town located on the north bank of the Ahar River in the present Udaipur city in Rajasthan. Archeological excavations in early 1960s revealed that Ahar was the site of the Chalcolithic Ahar culture.
- In the pre-modern era, Ahar was a politically significant town after it became the capital of the Guhil rulers of Mewar.
Ahar Cenotaphs: The Ahar Cenotaphs are a group of cenotaphs located in Ahar, Udaipur. The site contains more than 250 cenotaphs of Mewar Maharanas and there are 19 chhatris that commemorate the 19 maharajas who were cremated here.
आहड़ / आहर मेवाड़ के राजपरिवार के लोगों के कब्रिस्ताबन के रूप में होता है। यहां मेवाड़ के 19 शासकों का स्मारक है। ये स्मारक चार दशकों में बने हैं। यहां सबसे प्रमुख स्मारक महाराणा अमर सिंह का है। अमर सिंह ने सिंहासन त्यायगने के बाद अपना अंतिम समय यहीं व्यतीत किया था। इस स्थामन का संबंध हड़प्पा सभ्यता से भी जोड़ा जाता है और यहां एक पुरातात्विक संग्रहालय भी है।